स्वतंत्र धारा की चेतना के पोषक थे स्व. अवस्थी - मनोज सिन्हा

स्वतंत्र धारा की चेतना के पोषक थे स्व. अवस्थी - मनोज सिन्हा

राष्ट्रवादी चिंतक रहे स्व. सुरेश अवस्थी के 16 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के कामधेनु सभागार में "भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रभाव" विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। स्व. सुरेश अवस्थी न्यास के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल अध्यक्षता करते हुए जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि स्व. सुरेश अवस्थी ने मेरे राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों को तराशा है। वे मात्र मेंरे अध्यापक नही थे वे हमारे गुरु थे, जिन्होंने सदैव दुसरो को आगे ही बढ़ाया। दुसरो के लिए जीना ही अवस्थी जी की पहचान थी। उन्होंने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में स्वतंत्र धारा की चेतना उनके ही नेतृत्व में उभरी। उन्होंने कहा कि भारत की छवि को दुनिया मे बार बार विकृत करने का प्रयास किया जाता रहा है, बावजूद उसके आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। वर्तमान भारत आत्मविश्वास एवं प्रतिबद्धता से भरा हुआ है जो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार कर देगा। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राम बहादुर राय ने ऑनलाइन व्याख्यान मेंकहा कि स्व. सुरेश अवस्थी जैसे संवादी पुरूष काफी कम मिलते है। भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव की चर्चा करते हुए डॉ. राम बहादुर राय ने कहा कि जब से हम दुसरी संस्कृतियों का अनुसरण करने लगे है तब से हमारी संस्कृति का प्रभाव कम हुआ है। योग का प्रभाव जिस प्रकार से दुनियाभर में बढ़ा है, वह भारतीय संस्कृति के परचम का नया आयाम है।

मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारत की असली ताकत यहाँ की युवा शक्ति है।आवश्यकता है इन्हें सही ढंग से प्रेरित करने की, सही मार्गदर्शन करने की। स्व. अवस्थी युवाओं के लिए ऐसे ही मार्गदर्शक की भूमिका में थे। उन्होंने कहा की भारत को भाषा के जाल में उलझाए रखा गया ताकि वे दिग्भ्रमित रहे और अपनी पहचान बनाने में असफल रहे। दुनियाभर में भारत की संस्कृति ही उसकी पहचान है। 

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं स्व. सुरेश अवस्थी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। संगोष्ठी में डॉ. केदारनाथ सिंह, राम गोपाल मोहले, डॉ. आद्या प्रसाद पाण्डेय, अजय त्रिवेदी आदि ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन सुधीर मिश्रा, स्वागत प्रोफेसर विक्रमादित्य राय, विषय स्थापना रूपेश पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर बेचन जायसवाल ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. हरेंद्र राय, मनोज राय, डॉ. धीरेंद्र राय आदि मौजूद रहे।

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